धरने के लिए मजबूर कर रही है सरकार : स्वास्थ्य सेवाएं हो सकती है चौपट

रवि प्रकाश जूनवाल
हैलो सरकार ब्यूरो प्रमुख
जयपुर। अशोक गहलोत सरकार द्वारा प्रशासनिक प्रबंधन एवं कर्मचारियों का बेहतर तालमेल नहीं होने के कारण कर्मचारी संगठनों को हड़ताल एवं धरना प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

गौरतलब है कि वेतन विसंगतियां दूर करने और ठेका प्रथा पर कर्मचारियों की भर्ती बंद करने की मांग को लेकर जयपुर समेत प्रदेशभर के नर्सिंग अधिकारी 18 जुलाई से जिला मुख्यालयों पर धरना देंगे। इसे संकेत के बाद भी यदि राज्य सरकार अपने कुंभकर्णी नींद नहीं खोलती है तो 23 अगस्त को जयपुर में एक बड़ी रैली आयोजन किया जाएगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस रैली में 40 हजार से ज्यादा नर्सेज शामिल होंगे। जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल के सभागार में 10 जुलाई को महासभा में ये निर्णय लिया गया।

आपको बता दें, राजस्थान नर्सेज संयुक्त संघर्ष समिति की प्रांतीय महासभा प्रांतीय संयोजक प्यारेलाल चौधरी, राजेंद्र राना, नरेंद्र सिंह शेखावत समेत अन्य पदाधिकारियों के नेतृत्व में हुई । संघर्ष समिति के संयोजक चौधरी ने बताया कि 18 मई से नर्सेज कर्मचारी शांतिपूर्ण तरीके से जयपुर में सरकार का ध्यानाकर्षण आंदोलन कर रहे है और अपनी 11 सूत्रीय मांगों पूरी करने के लिए कह रहे है, लेकिन सरकार की ओर से इन पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। इससे नाराज होकर सभी ने राज्यभर में संयुक्त संघर्ष समितियों का गठन कर आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी। संघर्ष समिति के महासचिव कैलाश शर्मा ने बताया कि राज्य में नर्सेज को बिहार, उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों की तुलना में ही मूल वेतन प्रतिमाह 7100 से 22700 कम मिल रहा है। हाल ही में की गई बजट घोषणा में नए नियमों से राज्य के अन्य समकक्ष संवर्गो से भी नर्सेज को 2 से 3 पे स्टेप कम मिल रहा है। नर्सिंग कर्मचारियों को सरकार की ओर से न तो वर्दी भत्ता दिया जाता है और न हार्डड्यूटी भत्ता दिया जाता। ऐसी मांगों को सामान्यतः जायज ठहराया जा सकता है।

संगठन के पदाधिकारियों ने बताया कि नर्सेज पिछले लम्बे समय से प्राथमिक उपचार एवं आवश्यक जीवन रक्षक दवाई लिखने का अधिकार मांग रहे है, लेकिन सरकार की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। जबकि सीएचसी, पीएचसी समेत अन्य हॉस्पिटल में इमरजेंसी या वार्डो में आने वाले मरीजों को कई दवाईयों के लिए नर्सेज ही परामर्श करते है। इन सभी मांगों पर सरकार कोई विचार नहीं कर रही, जिसके चलते अब सभी ने 18 जुलाई से जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन करने और 23 अगस्त को विशाल रैली निकालकर अपना विरोध जताने का निर्णय किया है।

अब देखना होगा कि क्या प्रकार 18 जुलाई को होने वाली सांकेतिक हड़ताल को देखकर समस्या का समाधान करती है या नहीं। यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। बहरहाल, कर्मचारियों का रोष जोरों पर है, जिसका नतीजा राज्य की जनता को भुगतना पड़ सकता है।

जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल के सभागार में 10 जुलाई को महासभा में हड़ताल एवं रैली का हुआ निर्णय।