रवि प्रकाश जूनवाल
हैलो सरकार ब्यूरो प्रमुख
जयपुर। वकीलों की एकता राजस्थान सरकार पर इस कदर भारी पड़ी कि विधानसभा में चर्चा होने से पहले ही प्रस्तावित अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट में संशोधन करने का नोटिस जारी करना पड़ा।

दी बार एसोसियेशन के महासचिव श्री मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि शनिवार 18 मार्च 2023 को अधिवक्ता सरंक्षण अधिनियम को लेकर दी बार एसोसियेशन जयपुर के अध्यक्ष श्री कमल किशोर शर्मा के नेतृत्व में प्रमुख विधि सचिव श्री ज्ञान प्रकाश गुप्ता से मिले। जिसमें जयपुर व जोधपुर के पांचो मुख्य संयोजक श्री कमल किशोर शर्मा, श्री रणजीत जोशी, श्री महेन्द्र शाण्डिल्य, श्री रवि भंसाली एवं श्री विवेक शर्मा व अन्य बार एसोसियेशन के पदाधिकारियों विधि सचिव को ज्ञापन देकर संशोधन करने की मांग की थी। जबकि दूसरी ओर अधिवक्ता गण अपनी हड़ताल को लेकर न्यायालय परिसर में धरना देकर अपनी मांगे मनवाने के लिए पुरजोर तरीके से वकालत कर रहे थे।


हैलो सरकार को दी बार एसोसिएशन जयपुर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रमोद कुमार अग्रवाल, हितेश राही, डॉक्टर सुनील शर्मा, सहित कई अधिवक्ताओं ने धरने में उपस्थित अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए बताया जब तक सरकार वकीलों की मांगे नहीं मानेगी, तब तक धरना प्रदर्शन जारी रहेगा।

वकीलों की एकता एवं संघर्ष के चलते राज्य सरकार ने देर रात विधि विभाग एवं प्रस्तावित बिल के इंचार्ज मंत्री शांति धारीवाल ने संशोधन का नोटिस जारी किया गया। राज्य सरकार ने नोटिस जारी करते हुए बताया कि प्रस्तावित एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की धारा 3 में ” न्यायालय” शब्द को हटा दिया गया है, उसी प्रकार धारा 9 को “डिलीट” कर दिया गया तथा धारा 11 में “3 वर्ष की सजा” को घटाकर 2 वर्ष कर दिया गया।
प्रस्तावित कानून में संशोधन का नोटिस जारी होने के बाद बार कौंसिल ऑफ राजस्थान के अध्यक्ष घनश्याम सिंह राठौड़, अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट संघर्ष समिति के मुख्य संयोजक रणजीत जोशी, रवि भंसाली, कमलकिशोर शर्मा, विवेक शर्मा, महेंद्र शांडिल्य, एएजी विभूति प्रकाश शर्मा, राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन अध्यक्ष रणजीत जोशी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कानून मंत्री शांति धारीवाल का आभार व्यक्त किया।
अब राजस्थान सरकार पर इस बात का सवालिया निशान पै होता है कि सरकार को इस बात को भलीभांति जानती है कि अधूरे कानून को वकील समुदाय किसी भी कीमत पर पास नहीं होने देंगे। लेकिन फिर भी सरकार ने वकीलों को हड़ताल करने के लिए मजबूर किया। इससे न्यायिक जगत में भारी क्षति हुई है। इस नुकसान की भरपाई कौन करेगा। यही यक्ष प्रश्न राजस्थान के लोगों के ज़ेहन में बार-बार घूम रहा है।